वॉशिंगटन: अमेरिका पिछले दो साल से तेजस लड़ाकू विमान के इंजन की डिलीवरी को लेकर भारत को धोखा दे रहा है। इस कारण भारत की सैन्य तैयारियों पर विपरीत असर पड़ रहा है। भारतीय वायु सेना को अपने नए तेजस लड़ाकू विमान के लिए अमेरिकी कंपनी जनरल इलेक्ट्रिक (
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वॉशिंगटन: अमेरिका पिछले दो साल से तेजस लड़ाकू विमान के इंजन की डिलीवरी को लेकर भारत को धोखा दे रहा है। इस कारण भारत की सैन्य तैयारियों पर विपरीत असर पड़ रहा है। भारतीय वायु सेना को अपने नए तेजस लड़ाकू विमान के लिए अमेरिकी कंपनी जनरल इलेक्ट्रिक (जीई) के इंजनों की जरूरत है। लेकिन, इस अमेरिकी कंपनी ने पिछले दो साल से भारत को तेजस के इंजन की आपूर्ति नहीं की है। इस कारण भारतीय वायु सेना की युद्धक तैयारियों पर विपरीत असर पड़ रहा है। अब अमेरिका के इस रवैये से परेशान होकर मोदी सरकार ने जनरल इलेक्ट्रिक पर जुर्माना लगा दिया है। जनरल इलेक्ट्रिक तेजस एमके 2ए के इंजन एफ404-आईएन20 का निर्माण करता है।
अप्रैल 2025 से शुरू होगी इंजन की डिलीवरी!
द प्रिंट की रिपोर्ट के अनुसार, भारतीय वायु सेना ने हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड को बड़े पैमाने पर तेजस लड़ाकू विमानों का ऑर्डर दिया हुआ है। इसकी डिलीवरी मार्च 2024 में शुरू होनी थी। पहले यह जानकारी थी कि इंजन की डिलीवरी मार्च 2024 से शुरू होनी थी, लेकिन सरकारी सूत्रों ने कहा कि जीई को मार्च 2023 में डिलीवरी शुरू करनी थी। सूत्रों के अनुसार, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने हाल ही में अमेरिका की अपनी यात्रा के दौरान इंजन की डिलीवरी में देरी के बारे में बताया था। अब जीई ने मार्च/अप्रैल 2025 तक इंजन की डिलीवरी शुरू करने का वादा किया है।
रिपोर्ट के अनुसार, सूत्रों ने कहा, "सभी अनुबंध दायित्वों को पूरा किया जाएगा। सभी धाराओं को लागू किया जाएगा। रिपोर्ट में सरकारी सूत्रों के हवाले से बताया गया है कि तेजस के इंजन की डिलीवरी में देरी को लेकर अमेरिकी कंपनी जनरल इलेक्ट्रिक पर भारत ने जुर्माना भी लगाया है। हालांकि, जुर्माने की राशि को सार्वजनिक नहीं किया गया है। कारण दिया गया है कि यह एक सतत प्रक्रिया है। सूत्रों ने कहा कि जीई के साथ अनुबंध में प्रत्येक डिलीवरी शेड्यूल में देरी के अनुसार दंड का प्रावधान है। एक सूत्र ने कहा, "यह (जुर्माना) एक से अधिक बार लगाया गया है।"
भारत ने तेजस के 99 इंजनों के लिए किया है करार
जीई और तेजस लड़ाकू विमान के निर्माता हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) के बीच अगस्त 2021 के अनुबंध के अनुसार, अमेरिकी फर्म को पिछले साल 83 एलसीए एमके 1ए के लिए 99 इंजनों की डिलीवरी शुरू करनी थी। लेकिन, जनरल इलेक्ट्रिक के इंजन देने की समयसीमा को पूरा न करने के कारण भारतीय वायु सेना को तेजस लड़ाकू विमान की डिलीवरी में देरी हो रही है।
क्या अमेरिका बना रहा भारत पर दबाव?
रिपोर्ट में एक सरकारी सूत्र के हवाले से दावा किया गया है कि जनरल इलेक्ट्रिक के तेजस के इंजन की डिलीवरी में देरी किसी अमेरिकी "दबाव की रणनीति" का हिस्सा नहीं थी। उन्होंने कहा कि जीई का एक दक्षिण कोरियाई फर्म के साथ टाइअप है। यह दक्षिण कोरियाई कंपनी वित्तीय समस्याओं का सामना कर रही है और कुछ घटकों की आपूर्ति नहीं कर पा रही है। सूत्र ने कहा, "हमने जीई से कहा है कि वह हमें इसके लिए टेक्नोलॉजी ट्रांसफर करे, और हम इसे यहां बनाएंगे।"
भारत को तेजस का इंजन क्यों नहीं दे रहा जनरल इलेक्ट्रिक
तेजस की डिलीवरी में देरी के लिए, सूत्रों ने इंजन की आपूर्ति में जीई की विफलता को जिम्मेदार ठहराया। सूत्रों ने कहा, "एचएएल अभी तक लगभग 5-6 विमान डिलीवर कर सकता है और अगले साल तक, उसके पास 24 विमानों का निर्माण करने की क्षमता होगी। लेकिन, यह सब जीई द्वारा इंजन की आपूर्ति पर निर्भर करता है।" यह पूछे जाने पर कि भारतीय वायुसेना को अभी तक एक भी विमान क्यों नहीं मिला है, सूत्रों ने एचएएल का बचाव किया। उन्होंने कहा कि हथियारों का एकीकरण हाल ही में हुआ है, और एक विदेशी कंपनी ने तेजस की डिलीवरी में देरी की। इसके अलावा, संघर्ष में फंसे इजरायल ने समय पर रडार को डिलीवर करने में विफल रहा।
रिजर्व इंजन से तेजस उड़ा रहा भारत
सूत्रों ने कहा कि विमान का परीक्षण अभी हो रहा है और उनके पूरा होने के बाद, तेजस की डिलीवरी शुरू हो जाएगी। तेजस एमके 1ए सीरीज का पहला विमान, एलए 5033, इस साल मार्च में उड़ान भर चुका है। विमान नए इंजन के साथ नहीं बल्कि क्लास बी इंजन के साथ उड़ा था। क्लास बी इंजन का अर्थ अतीत में इस्तेमाल किया गया रिजर्व इंजन या तेजस सीरीज के लिए जीई के साथ पहले के सौदे से अप्रयुक्त रिजर्व इंजन से है।
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राज्य ब्यूरो, रांची। भाजपा ने झारखंड में बांग्लादेशी घुसपैठ और डेमोग्राफी में बदलाव को बड़ा मुद्दा बनाया है। इसे लेकर माहौल भी बना है, लेकिन पार्टी के बागी नेता इस अभियान को पलीता लगा रहे हैं। संताल परगना से कोल्हान तक यही हाल है।